Bihar Board 12th Important Geography Question 2024: Important Geography Question आएगा 2024 में Geography स्टूडेंट देख ले, BSEB EXAM
Bihar Board 12th Important Geography Question 2024:
(A) मानव भूगोल के मूल सिद्धांत
1. मानव भूगोल- प्रकृति एवं विषय-क्षेत्र
Q.1. मानव भूगोल को परिभाषित कीजिए। मानव भूगोल के विषय क्षेत्र (Scope) का वर्णन करें। [2017,2015]
Ans. 1. रैट्जेल के अनुसार : फ्रेडरिक रैट्जेल को वर्तमान भूगोल का जन्मदाता माना जाता है। रैट्जेल के अनुसार मानव भूगोल के दृश्य सर्वत्र वातावरण से संबंधित होते है जो स्वयं भौतिक दशाओं का एक योग होता है।
2. कुमारी सेम्पुल के अनुसार (According to E.C. Semple) : रैट्जेल की शिष्य कुमारी सेम्पुल के अनुसार, “मानव भूगोल अस्थायी पृथ्वी और चंचल मानव के पारस्परिक परिवर्तनशील संबंधों का अध्ययन है।
3. विडाल डी लॉ ब्लॉश के अनुसार (According to Vidal de la Blache) : फ्रांसीसी विद्वान विडाल डी लॉ ब्लॉश के अनुसार “मानव भूगोल पृथ्वी और मानव के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन है।”
मानव भूगोल के विषय क्षेत्र
मानव भूगोल की प्रकृति (Nature of Human Geography) : मानव भूगोल की प्रकृति का उद्देश्य पृथ्वी पर विभिन्नताओं के बीच रहने वाले मानव जीवन को समझना है। पृथ्वी के विभिन्न प्रदेशों में निवासियों के रंग-रूप कार्यक्षमता, आजीविका साधन, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि में बहुत अन्तर मिलते हैं। ये अन्तर भौगोलिक वातावरण के कारण मिलते है। मानव और भौतिक वातावरण का संबंध सांस्कृतिक वातावरण को जन्म देता है। * फिच और ट्विार्था ने मानव भूगोल की विषय वस्तु को मुख्यतः दो भागों में बाँटा है-
1. भौतिक या प्राकृतिक वातावरण (Physical or Natural environment)
2. सांस्कृतिक या मानव-निर्मित पर्यावरण (Cultural or Human made Environment)
मानव भूगोल का उद्देश्य एवं प्रकृति के संबंध में प्रो० ब्लॉस का कथन है, “पृथ्वी पर मनुष्य का प्रभाव और उसके व्यवसायों का अध्ययन ही मानव भूगोल है।” मानव भूगोल संसाधनों के उपयोग द्वारा व्यवसायों की आर्थिक संरचनाओं, उद्योगों, परिवहन, संचार साधन तथा मानवीय बस्तियों के वितरण का अध्ययन करता है।
मानव भूगोल का अध्ययन मानवीय पारिस्थितिकी का व्यापक अध्ययन है। मानव भूगोल प्राकृतिक वातावरण शक्तियों, जैसे सौर शक्ति, गुरुत्व तथा सौर प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसी प्रकार मानव भूगोल में सांस्कृतिक वातावरण की शक्तियों का भी अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार आर्थिक, जनसांख्यिकीय, ऐतिहासिक विज्ञानों के लिए मानव भूगोल का ज्ञान आवश्यक है।
मानव भूगोल का अध्ययन क्षेत्र (Scope of Human Geography) : मानव भूगोल का अध्ययन-क्षेत्र बहुत व्यापक है। परन्तु कई विद्वानों के विचारों में मतभेद है। मानव भूगोल को विज्ञान को भूमि का विज्ञान, अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान तथा प्रादेशिक अध्ययन का विज्ञान कहा जाता है। वास्तव में भौगोलिक परिस्थितियों और मनुष्य के कार्यों के संबंध का वितरण ही मानव भूगोल की विषय- सामग्री है।
मानव भूगोल के अध्ययन-क्षेत्र के पाँन प्रमुख अंग है- किसी प्रदेश को जनसंख्या और उसी क्षमता उस प्रदेश के प्राकृतिक संसाधन उस प्रदेश का सांस्कृतिक प्रतिरूप • माय शतावरण का समायोजन का रूप समय के साथ-साथ कालिक विकास।
Q.2. मानव भूगोल के कुछ उप-क्षेत्रों के नाम बताएं।
Ans. मानव भूगोल को निम्नलिखित पाँच उपशाखाओं में विभाजित है-
1. सांस्कृतिक भूगोल (Cultural Geography): इसके अन्तर्गत मानव के सांस्कृतिक पहलुओं, जैसे-घर, रहन-सहन, भोजन, धर्म व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का अध्ययन किया जाता है।
2. आर्थिक भूगोल (Economic Geography) जिस क्षेत्र के अन्तर्गत उत्पादन, वितरण, विनिमय तथा उपभोग आदि का अध्ययन किया जाता है, उसे आर्थिक भूगोल करते हैं।
3. जनसंख्या भूगोल (Population Geography): इस उपशाखा के अन्तर्गत मानव का विवरण, जन्म व मृत्यु-दर, वृद्धि-दर, लिंग अनुपात, जनसंख्या आदि का अध्ययन किया जाता है।
4. ऐतिहासिक भूगोल (Historical Geography) : इस क्षेत्र के अन्तर्गत अमुक भौगोलिक क्षेत्र के विकास की अवस्थाओं का अध्ययन किया जाता है। इससे उस प्रदेश के वर्तमान स्वरूप को समझने में सहायता मिलती है।
5. राजनैतिक भूगोल (Political Geography) : इसमें अनेक समूहों के राजनीतिक, प्रशासनिक, स्थानीय प्रशासन व प्रादेशिक नियोजन तथा सीमा विवादों का अध्ययन किया जाता है।
Q.3. मानव भूगोल के लिए दो पुरानी तथा दो नई विचारधाराओं का उल्लेख कीजिए।
Or, मानव भूगोल की नियतिवादी एवं सम्भववादी विचारधारा का वर्णन करें।
Or.मानव विकास के सम्बन्ध में कल्याण उपागम क्या है ?
Ans. नियतिवाद और संभावनावाद दो पुरानी विचारधाराएं है। नियतिवाद में मनुष्य के प्रत्येक
क्रियाकलाप को पर्यावरण से नियंत्रित माना जाता है। पर्यावरणीय कारक मानव के आचरण निर्णय-क्षमता तथा जीवन-पद्धति को भी निश्चित करते हैं। नियतिवादी प्रकृति को सर्वोपरि मानते हैं।
इसमें मानव की भूमिका निष्क्रिय मानी जाती है।
संभावनावादी विचारधारा ने नियतिवादी विचारधारा को नकारा है और इस बात पर बल दिया है कि मनुष्य प्रकृति के तत्वों को चुनने के लिए स्वतंत्र होता है। सर्वत्र संभावनाएं है। मनुष्य संभावनाओं का स्वामी है। समाज के भीतर मानव समूहों के बीच अंतर पाया जाता है। यह विभिन्नताएँ भौतिक पर्यावरण के दबाव का प्रतिफल नहीं है, अपितु दूसरे कारको, जैसे- लोगों की मनोवृत्ति, मानव मूल्यों एवं आदर्शो का परिणाम है।
नवीन विचारधारा :
1. कल्याणपरक विचारधारा: निर्धनता, विकास में प्रादेशिक असमानता, नगरीय झुग्गी-झोपड़ियाँ और अभाव जैसे विषय भौगोलिक अध्ययन के विषय बन गये है। कल्याणपरक विचारधारा का मुख्य बिन्दु यही है-कौन, सब कहाँ, क्या पाया जाता है और कैसे? अर्थात् इनकी भिन्नताओं का कारण मालूम होता है।
2. मानववादी विचारधारा इनमें मानव जागृति साधन, मानव चेतना और मानव की सृजनात्मकता के संदर्भ में मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशील भूमिका पर बल दिया जाता है। यह विचारधारा स्वयं मनुष्य पर केन्द्रित है।
2. विश्व जनसंख्या-वितरण, घनत्व और वृद्धि
Q.4, जनसंख्या वृद्धि और हास के परिणामों की चर्चा कीजिए Or. ह्रासमान जनसंख्या से आप क्या समझते हैं? ।
Ans. जन्म, मृत्यु और प्रवास जनसंख्या परिवर्तन के प्रमुख कारक है। एक विकासशील अर्थव्यवस्था की जनसंख्या में थोड़ी-सी वृद्धि भी अवांछनीय है। जबकि एक विकसित अर्थव्यवस्था में भी एक स्तर के बाद जनसंख्या वृद्धि अनेक प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न करती है। बढ़ती हुई जनसंख्या भूमि और प्राकृतिक संसाधनों पर अधिक दबाव डालती है। कई स्थानों पर स्वच्छ जल की अभी से ही समस्या उत्पन्न होने लगी है। वनों का ह्रास हो रहा है। मृदा का अपरदन और अति मत्स्यन की समस्या उत्पन्न हो रही है। इस प्रकार विकासशील देशों में जनसंख्या वृद्धि निम्नलिखित समस्याओं के लिए उत्तरदायी है-
1. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि, आवास और सामाजिक सुविधाओं की कमी, 2. बेरोजगारी 3. रहन-सहन का निम्न स्तर, गरीबी, भूखमरी और कुपोषण, 4. संसाधन का दुरूपयोग, 5. औद्योगिक क्षेत्र
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Bihar Board 12th Important Geography Question 2024