Bihar Board 12th Important Geography 2024: इंन्टर वार्षिक परीक्षा 2024 के लिए, Geography Important Question BSEB EXAM

Bihar Board 12th Important Geography 2024

Bihar Board 12th Important Geography 2024: इंन्टर वार्षिक परीक्षा 2024 के लिए, Geography Important Question BSEB EXAM

Bihar Board 12th Important Geography 2024:

                (B) भारत लोग और अर्थव्यवस्था

Q.1. जनसंख्या का घनत्व विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार बताइए।
Or, भारत में दो सघनतम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य कौन से हैं? (VVI) [2018]

Ans. (क) निम्न घनत्व वाले क्षेत्रो के अंतर्गत सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं अण्डमान निकोबार द्वीप समूह आते हैं। यहाँ प्रति वर्ग किलामीटर 100 से कम व्यक्ति पाये जाते हैं।

(ख) मध्यम घनत्व वाले क्षेत्रों के अन्तर्गत मिजोरम, उत्तराखण्ड, नागालैण्ड, छत्तीसगढ़, असम, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखण्ड, त्रिपुरा, उड़ीसा, मेघालय, राजस्थान, गोआ, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आन्ध्र प्रदेश आते हैं। इनमें जनसंख्या का घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर 101 से 400 व्यक्तियों तक पाया जाता है।

(ग) अधिक घनत्व वाले क्षेत्रों में पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, दादरा एवं नगर हवेली सम्मिलित है। इनमें जनसंख्या का घनत्वं प्रतिवर्ग किलोमीटर 401 से 700 व्यक्ति तक पाया जाता है?

(घ) सघन आबादी वाले क्षेत्रों में बिहार, केरल, पश्चिम बंगाल, चण्डीगढ़, दिल्ली, पुदुचेरी, लक्षद्वीप, दमन-दीव आते हैं। यहाँ का घनत्व 700 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक है। इनमें सबसे अधिक घनत्व महानगर दिल्ली का 9,294 एवं चण्डीगढ़ का 7,903 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है।

Q.2. जनसंख्या के वितरण एवं घनत्व को प्रभावित करने वाले घटक कौन-से हैं?
Or. भारत में जनसंख्या के असमान वितरण के जिम्मेवार दो कारकों को लिखें। [2018]

Ans. किसी भी देश की जनसंख्या का वितरण एवं घनत्व वहाँ पायी जाने वाली जलवायु, प्राकृतिक स्थिति और भू-संसाधन, भूमि की भरण-पोषण की शक्ति और आवागमन के मार्गों की सुविधा आदि बातों पर निर्भर रहता है। अधिकतर लोग वही रहना पसंद करते है जहाँ उनको अपने जीविकोपार्जन में विशेष सुविधा रहती है। अतः अधिकांश कृषि प्रधान प्रदेशों में जनसंख्या का जमाव होता है जहाँ कृषि योग्य उपजाऊ भूमि, पर्याप्त वर्षा तथा उचित तापमान और नम तथा समतल भूमि होने के साथ-साथ आवागमन की सुविधा होती है। इसके विपरीत, औद्योगिक देशों में जनसंख्या का निवास विशेषकर खनिज, औद्योगिक अथवा व्यापार केन्द्रों में होता है। इसके अतिरिक्त कुछ धार्मिक. सामाजिक और राजनीतिक तत्व भी जनसंख्या को प्रभावित करते हैं।

Q.3. “बीसवीं शताब्दी से भारत में लिंग अनुपात निरंतर घटता रहा है।” कारण दीजिए।

Ans. बीसवी शताब्दी से भारत में लिंग अनुपात में निरंतर कमी के निम्नलिखित कारण है-
1. मृत्यु-दर का उच्च होना शैशव काल तथा प्रजनक आयु वर्ग (15-59 वर्ष में) भी अधिक स्त्रियाँ मर जाती है।
2. भ्रूण हत्या : भारतीय समाज में बालिकाओं की अपेक्षा बालकों की अधिक चाहत रहती है। फलतः गर्भावस्था में ही शिशु की पहचान करा ली जाती है। अतः गर्भस्थत बालिका भ्रूण को गर्भपात के रूप में जन्म देने पर रोक दिया जाता है जो कि एक जघन्य अपराध है।

3. चालक और बालिकाओं के लालन-पालन और भरण-पोषण में भी भेद किया जाता है। बालिकाएँ प्राय, उपेक्षित कर दी जाती है जिन्हें कभी-कभी बीमारी व कुपोषण का शिकार होना पड़ता है।

Q.4. जनसंख्या वृद्धि की अवस्थाएं स्पष्ट कीजिए।

Ans. भारत में जनसंख्या वृद्धि की निम्नांकित अवस्थाएँ है-
1. धीमी वृद्धि की अवधि 1921 से पूर्व जनसंख्या की वृद्धि धीमी रही क्योंकि इस अवधि मे जन्म एवं मृत्यु-दर दोनों उच्च थी। मृत्यु-दर उच्च होने का प्रमुख कारण चिकित्सा सुविधाओं का अभाव, महामारी एवं विश्वयुद्ध था।

2. निरन्तर वृद्धि अवधि इस अवधि में लगातार वृद्धि हुई किन्तु मन्द गति से चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता, कृषि और औद्योगिक विकास तथा परिवहन सुविधाओं के कारण मृत्यु-दर में कमी आयी।

3. तीव्र वृद्धि की अवधि इस अवधि में जनसंख्या लगभग दो गुनी हो गयी। पंचवर्षीय योजनाओं तथा चिकित्सा सुविधाओं में सुधार के कारण मृत्यु-दर गिरी। अतः जनसंख्या में वृद्धि हुई।

4. घटती वृद्धि अवधि 1981 के बाद भारत में जनसंख्या में वृद्धि तो हुई किन्तु वृद्धि दर में क्रमिक हास हुआ।

Q.5. जनसंख्या नियंत्रण के उपायों का वर्णन करें (VVI)

Ans. परिवार नियोजन का उद्देश्य बच्चों में अन्तराल रखना है। इसकी भूमिका निम्न है-
(i) यह जनसंख्या वृद्धि को सीमित रखती है। (ii) महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर रखती है। (iii) गर्भ निरोधक की सुगम उपलब्धता इसमें सहायक है। (iv) निरुत्साहक उपाय भी सहायक है।

Q.6. ग्रामीण जनसंख्या के बारे में बताइए ।

Ans. 2001 की जनगणना के अनुसार भारत की जनसंख्या 102.87 करोड़ है। इसमें 74.16 करोड़ व्यक्ति गाँवों में निवास कर रहे है। यह कुल जनसंख्या का 72.22 प्रतिशत है। ग्रामीण जनसंख्या वितरण में भी पर्याप्त भिन्नता देखने को मिलती है। यहाँ हिमाचल प्रदेश सबसे अधिक ग्रामीण राज्य है जहाँ ग्रामीण जनसंख्या 90.21 प्रतिशत है। सबसे कम ग्रामीण जनसंख्या दिल्ली में है जहाँ कुल जनसंख्या का मात्र 6.99 प्रतिशत लोग ग्रामीण है अर्थात् इनकी संख्या 9.63 लाख है।

Q.7. भारत की जनसंख्या की प्रमुख जनांकिकीय विशेषताओं का वर्णन करें। (VvI)

Ans, भारत की जनसंख्या की प्रमुख जनांकिकीय विशेषताएं निम्नलिखित है-
(i) आयु-संरचना (Age composition) : आयु संरचना से तात्पर्य है आयु के आधार पर जनसंख्या का वर्गीकरण। भारत में 2001 ई. में 10 से 19 वर्ष की आयु वाले किशोरों का प्रतिशत बहुत अधिक (22%) है।

(ii) लिंग अनुपात ( Sex ratio) : इसके अन्तर्गत स्त्री-पुरुष अनुपात का अध्ययन होता है। और इसे प्रति हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या में व्यक्त किया जाता है। भारत में पुरुषों की संख्या स्त्रियों से अधिक है। 2001 में लिंग अनुपात 933 प्रति हजार है।

(iii) नगरीय और ग्रामीण जनसंख्या (Urban and rural population) : निवास स्थान के आधार पर भारत की 77.2% जनसंख्या ग्रामीण और 27.8% जनसंख्या नगरीय है।

(iv) कार्यरत और आश्रित जनसंख्या (Working and dependant population) : भारत में 39% जनसंख्या लाभकारी कार्यों में संलग्न है तथा शेष 61% जनसंख्या आश्रित है

Q.8. भारत में जनसंख्या के घनत्व में पाई जाने वाली विभिन्नता के प्रमुख कारण क्या है ? [2011, 2013]

Ans. भारत के जनसंख्या घनत्व के क्षेत्रीय प्रतिरूप में पर्याप्त विभिन्नताएँ पाई जाती है। पर्यावरण की प्रतिकूल दशाओं के कारण उत्तर-पूर्वी भारत में औसत घनत्व 60 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी० से कम है। मध्यवर्ती भारत में यह घनत्व 200 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी0 है। उत्तरी मैदान में पंजाब से पश्चिमी बंगाल की मेखला में अधिक घनत्व है। इस जनसंख्या घनत्व की विभिन्नता का मुख्य कारक उच्चावच, जलवायु जल आपूर्ति, मिट्टी की उर्वरता तथा कृषि उत्पादकता है। इन कारकों का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों में स्पष्ट दिखाई देता है। इसके अतिरक्त जनांकिकी, सामाजिक, आर्थिक,
राजनैतिक, ऐतिहासिक कारकों के योगदान आदि का जनसंख्या के घनत्व पर काफी प्रभाव पड़ता है।

Q.9. जनसंख्या का पर्यावरण पर प्रभाव स्पष्ट कीजिए।

Ans. जनसंख्या का पर्यावरण पर निम्न प्रभाव पड़ता है- (i) जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप आवासों का निर्माण किया जा रहा है, जिससे कृषि भूमि में कमी आ रही है। (ii) वनस्पतियों की कटाई आर्थिक मात्रा में किया जा रहा है। (iii) वायु प्रदूषण की मात्रा में वृद्धि हो रही है। (iv) जल प्रदूषण बढ़ रहा है। (v) मृदा अपरदन की क्रिया तीव्र हो गई है।

Q.10. जनसंख्या घनत्व क्या है ?

Ans. जनसंख्या घनत्व का अर्थ किसी प्रदेश या क्षेत्र के प्रति इकाई क्षेत्रफल (जैसे प्रति वर्ग किमी. या प्रतिवर्ग मील) में निवास करने वाले व्यक्तियों की औसत संख्या से होता है। जनसंख्या पनत्व ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग किया जा सकता है-

जनसंख्या घनत्व = देश की सम्पूर्ण जनसंख्या, देश का सम्पूर्ण क्षेत्र

               2. प्रवास: प्रकार, कारण और परिणाम

Q.11. प्रवास से आपका क्या अभिप्राय है ?

Ans. जनसंख्या का किसी एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाकर बसने को प्रवास कहते है। जब
लोग एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में जाकर बसते है तो उसे उत्प्रवास कहते है, परन्तु जब लोग अन्य प्रदेशों से आकर किसी प्रदेश में बसते है तो उसे अप्रवास कहते हैं।

Q.12. अन्तः राज्यीय प्रवास के किन्हीं तीन प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।

Ans. (क) ग्राम से ग्राम हमारे देश में जब किसी लड़की का विवाह किसी अन्य गाँव में 8 कर दिया जाता है तो वह लड़की वही जाकर रहने लगती है। सिचाई की सुविधा वाले गाँव मे भी लोग आकर बस जाते है।

(ख) गाँव से नगर : शिक्षा, व्यवसाय, उद्योग एवं आर्थिक क्रियाकलापों की वृद्धि के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों की ओर प्रवास बढ़ता जाता है। भारत में 1961-91 के 30 वर्षों में गाँवों से कस्बों एवं नगरों व औद्योगिक क्षेत्रों के कस्बों की ओर प्रवास में निरन्तर वृद्धि होती है। (स) नगर से नगर : सामान्यतः एक नगर से दूसरे नगर में प्रवास राजनीतिक, उच्च सामाजिक कारणों से होता है। जब किसी छोटे नगर में बड़े उद्योग, बैक या व्यवसाय की शाखा खुलती है तो मुख्यालय से अनेक व्यक्तियों को छोटे नगरों में जाकर रहना पड़ता है। इसी भांति अनुकूल आर्थिक कारणों के प्रभाव से भी छोटे नगरों से महानगरों की ओर प्रवास होता रहता है

Q.13. प्रवास के कोई दो कारण बताइए। (VVI)

Ans. प्रवास के लिए भौतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कारण उत्तरदागी होते है जो निम्नवत है-

1. भौतिक कारण : भौतिक कारणों के अन्तर्गत जलवायु संबंधी परिवर्तन (जैसे- अतिदृष्टि, बाद, अनावृष्टि), भूकम्प, ज्वालामुखी, हिमराशियों का घटना बढ़ना, मिट्टी का उपजाऊ होना, समुद्र सटो का उन्मज्जन तथा निमज्ञ्जन होना सम्मिलित किया जाता है। हमारे यहाँ अधिक गर्मी से बनने के लिए लोग दक्षिण से उत्तर की ओर प्रवास करते हैं तथा ग्रीष्मकाल समाप्त होते ही पुनः अपने-अपने स्थानों पर आ जाते है। बाद या दुर्भिक्ष भी अधिक संख्या में प्रवास के लिए उत्तरदायी होते हैं। जब बादों या अकाल का प्रकोप कम हो जाता है तो लोग पुनः स्थानों को लौट आते है।

2. आर्थिक कारण आर्थिक कारणों में रोजगार, कृषि, उद्योग, परिवहन, व्यापार आदि सम्मिलित होते है। लोग आजीविका के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में जाते हैं क्योंकि कृषि से एक निश्चित जनसंख्या को ही आजीविका मिल सकती है। व्यापारी व्यापार के लिए दूसरे स्थानों पर जाते हैं।

3. सामाजिक-सांस्कृतिक कारण धार्मिक कारणों से भी बड़ी संख्या में प्रवास होता है। B 1947 में भारत विभाजन के समय उत्पन्न स्थिति के कारण बड़ी संख्या में हिन्दू भारत आये तथा मुस्लिम भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गये। धार्मिक उत्सवों पर बड़ी संख्या में प्रवास होता है। शिक्षा प्राप्त करने के लिए लोग दूसरी जगह जाते है। इसी भांति विवाहों के द्वारा भी प्रवास होता है।

4. राजनीतिक कारण राजनीतिक तथा जातीय दंगों के कारण लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों को प्रवास कर जाते है। समाजशास्त्रियों के अनुसार प्रवसन के लिए निम्नांकित दो घटक उत्तरदायी है- (i) प्रतिकूल घटक अथवा धक्का देने वाले घटक (Push Factors) एवं (ii) अनुकूल अथवा आकर्षक घटक (Pull Factors) ।

Q.14. प्रवास से संबंधित किन्हीं तीन प्रतिकर्ष एवं अपकर्ष कारकों का वर्णन करें। (VVI)
Or, प्रवसन के लिए उत्तरदायी घटक कौन-से हैं?

Ans. (i) प्रतिकर्ष या प्रतिकूल घटक (Push Factor) इस कारक के अन्तर्गत ये सभी तत्व सम्मिलित किये जाते हैं-

1. मूल स्थान में जनसंख्या में वृद्धि तथा भूमि पर उसका बढ़ता हुआ भार।
2. जनसंख्या की तुलना में आर्थिक संसाधनों का अभाव।
3. प्राकृतिक संसाधनों के अविवेकपूर्ण विदोहन के कारण हास।
4. दैविक आपदाएं, अनावृष्टि, दुर्भिक्ष, अतिवृष्टि एवं बाढ़, भूकम्प और ज्वालामुखी उद्गार |
5. समाज मे होने वाले संघर्ष।
6. एक वर्ग का दूसरे वर्ग से भेदभावा उद्गार ।
7. व्यक्तिगत विकास, रोजगार, विवाह आदि के लिए समुदाय विशेष में पर्याप्त अवसरों का अभाव।

(ii) अपकर्ष या अनुकूल घटक (Pull Factor): इन कारकों के अन्तर्गत एक व्यक्ति अपने जीवन को अधिक सुखी बनाने के लिए अन्यत्र जाने को आकर्षित होता है। इन कारणो को पुल फैक्टर कहा जाता है। इनमें निम्न घटकों को शामिल किया जाता है-

1. आजीविका के श्रेष्ठ अवसरों की उपलब्धता,
2. उत्तम जलवायु, आवास व्यवस्था तथा उपजाऊ भूमि, 3. सुरक्षा की भावना । संक्षेप में मानव गतिशील प्राणी है। जब किसी क्षेत्र में जनसंख्या का भार उसके आर्थिक साधनों की तुलना में असंतुलित हो जाता है तो वह अपने मूल स्थान को छोड़ अन्यत्र चला जाता है।

Q.15. ‘ऊष्मा द्वीप’ (Heat island) क्या है? वर्णन करें। (2013, 2012)

Ans. नगरों के मध्यवर्ती भाग में जिसे केन्द्रीय बाजार क्षेत्र कहा जाता है, ऊंची-ऊंची ईमारते ‘बनी होती है। कंकरीट के इन ढांचों में दिनभर बड़ी संख्या में लोगों का आना-जाना होता है। बड़ो संख्या में लोगों के आवागमन के कारण यहाँ अपेक्षाकृत अधिक गर्मी होती है जिसे ‘ऊष्मा द्वीप’ कहा जाता है।

Q.16. ‘जनसंख्या प्रवास’ शब्द की परिभाषा दीजिए। (VVI)

Ans. अपेक्षाकृत लम्बी अवधि के लिए निवास स्थान में परिवर्तन को प्रवास कहा जाता है। स्थानांतरण की दिशा के आधार पर प्रवास के प्रकार निम्नलिखित है-  ग्राम से नगर को नगर से ग्राम को, नगर से नगर को अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास।

Q.17. अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्राज्यी प्रवास में अन्तर स्पष्ट करें।

Ans. दो राष्ट्रो के बीच होने वाले मानव प्रवास को अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास कहते हैं। इसमें एक ही महाद्वीप के अन्दर एक देश के मनुष्य दूसरे देश को चले जाते हैं। भारत और पाकिस्तान या भारत और चीन के बीच होने वाले प्रवास इसके अन्तर्गत आते हैं। इसके विपरीत, अन्तर्राज्यीय या अन्तप्रान्तीय प्रवास में एक ही देश के दो प्रान्तों के बीच मानव प्रवास होता है। बिहार से पश्चिम बंगाल या महाराष्ट्र या गुजरात में जाकर बसना अन्तर्राज्यीय प्रवास का उदाहरण है।

Q.18. आंतरिक प्रवास क्या है? प्रवास के प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारकों का वर्णन करें। (VVI)

Ans. आंतरिक प्रवास अपेक्षाकृत अधिक प्रचलित जनांकिकीय प्रक्रिया है। इसमें लाखो लोग गाँवा को छोड़कर नगरों की ओर अथवा सघन आबादी क्षेत्रों से बेहतर अवसर प्रदान करने वाले प्रदेश की ओर प्रवास करते हैं।

प्रतिकर्ष कारक : जिन क्षेत्रो में प्रतिकूल दशाएँ, जैसे-निर्धनता बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनोरंजन और अन्य सुविधाओं की कमी है वहाँ की जनसंख्या को दूसरे स्थानों पर जाकर बसने के लिए बाध्य करती है। अपकर्ष कारक नगरी तथा लक्षित क्षेत्रों में प्रमुख अपकर्ष कारक है। इन कारको में उच्च वेतन, सस्ती भूमि अच्छा जीवन-स्तर तथा आर्थिक प्रगति के लिए अवसर शामिल है।

Q.19. भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।

Ans. भारत मे अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण आर्थिक सामाजिक जनांकिकीय प्रभाव हो सकते है। इससे देश को कई प्रकार के लाभ होते है। देश में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। भारत को 2002 मे 110 खरब अमेरिकी डालर प्राप्त हुए है। इसमें पंजाब, केरल और तमिलनाडु का भाग अधिक था। जनांकिकीय संघटन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रवासी सामाजिक परिवर्तन के रूप मे भी देखे जा सकते है। नवीन प्रौद्योगिकी, स्त्री-शिक्षा आदि से संबंधित नये विचारों का विस्तार नगरीय क्षेत्रों से ग्रामीण क्षेत्रों की और विस्तार इन्ही के माध्यम से होता है। नगरीय क्षेत्रों में सामाजिक और भौतिक संरचना पर दबाव पड़ता है। इससे नगरीय बस्तियों की अनियोजित वृद्धि होती है। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक संसाधनों के अति उपयोग से नगर के भू-जल स्तर के अवक्षय, वायु प्रदूषण आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

Q.20. प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?

Ans. ग्रामीण से नगरीय प्रवास नगरों में जनसंख्या की वृद्धि में योगदान देने वाले महत्वपूर्ण कारकों में से एक है। ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाले चरणात्मक बाहा प्रवास ग्रामीण जनांकिकीय संघटन पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में होने वाले बाचा प्रवास इन राज्यों की आयु और लिंग-संरचना में गम्भीर असतुलन पैदा कर दिये है। ऐसे ही असंतुलन अन्य राज्यों में हुए। प्रवास में विभिन्न संस्कृतियों के लोगों का प्रवेश होता है। इससे संस्कृति के उद्वविकास में सकारात्मक योगदान होता है और यह अधिकतर लोगों के मानसिक क्षितिज को विस्तृत करता है। इससे नकारात्मक परिणाम भी होते है जो लोगों में सामाजिक निर्वात और खिन्नता की भावना भर देते हैं।

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Bihar Board 12th Important Geography 2024

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