Bihar Board 12th Model paper Biology TOP-20 Question: महत्वपूर्ण Biology कक्षा 12th Important Biology 2024, Bsebexam
Bihar Board 12th Model paper Biology TOP-20 Question:
प्रश्न 1. असंक्राम्यता में लिम्फोसाइट की भूमिका के बारे में लिखें।
उत्तर- इम्यून सिस्टम का मुख्य कोशिका लिम्फोसाइट है। यह B एवं T-लिम्फोसाइट दो प्रकार का होता है। T-लिम्फोसाइट एटिबॉडी मेडियेटेड इम्यून सिस्टम (AMIS) जबकि B- लिम्फोसाइट सेल मेडियेटेड इम्यून सिस्टम (CMIS) बनाते हैं। दोनों लिंफोसाइटों को अपने कार्य के लिए एटिजन की आवश्यकता होती है लेकिन दोनों अलग-अलग तरीके से कार्य निष्पादित करते हैं।
प्रश्न 2. संक्रामक रोग क्या है? किन्हीं तीन संक्रामक रोगों के नाम दीजिए।
उत्तर- ऐसे रोग जिसमें संक्रमण कारक तुरन्त संक्रमण उत्पन्न कर देता है, संक्रामक या संचरणीय (Infectious or Communicable) रोग कहलाते हैं। उदाहरण- हैजा (बिब्रियो कोलेरी), पोलियो (पोलियो विषाणु और रेबीज (रेन्डोवाइरस) इत्यादि ।
प्रश्न 3. प्रतिरक्षी व प्रतिजन के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर- प्रतिजन (Antigen) वे कार्बनिक पदार्थ हैं, जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा प्रतिरक्षी (antibodies) का निर्माण करके अनुक्रिया उत्पन्न करते हैं। प्रतिरक्षी (Antibodies) – ये विशेष प्रकार के प्रोटीन्स हैं जो प्रतिजन के प्रति अनुक्रिया के लिए उत्पन्न होते हैं तथा प्रतिजन से शरीर की सुरक्षा करते हैं
प्रश्न 4. मलेरिया और न्यूमोनिया का प्रसारण किस प्रकार होता है?
उत्तर- मलेरिया – मादा एनोफेलिज मच्छर की लार ग्रंथियों में इसकी संक्रमित अवस्था, स्पोरोज्वायट हजारों की संख्या में रहते हैं। जब यह संक्रमित मच्छर मनुष्य का रुधिर चूसता है तब हँसिए के आकार के स्पोरोज्वायट मनुष्य के रुधिर में लार के साथ प्रवेश करता है। लाल रुधिर कण एवं यकृत में इसका साइजोगोनी चक्र पूरा होता है। इस समय RBC में इसका मेरोज्वयाट अवस्था बनता है एवं RBC में हीमोग्लोबिन टूटकर हीमोजोइन (haemozoin) नामक विषाक्त पदार्थ बनता है। RBC टूट जाता है एवं हीमोजोइन रुधिर में गिरता है तथा हीमोजोइन के कारण मनुष्य को कपकपी के साथ बुखार आता है।
न्यूमोनिया (Pneumonia)—– यह रोग का कारक जीवाणु है । जीवाणु के नाम हैं स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनी और होमोफिल्स इंफ्लुएंजी है। इस रोग के कारण फुफ्फुस के वायुकोष्ठों में तरल भर जाता है जिसके कारण साँस लेने में समस्याएँ पैदा हो जाती है। ज्वर, खाँसी और सिरदर्द इसके लक्षण हैं। होंठ और ऊँगलियों के नाखूनों का रंग क्रमशः नीला हो जाता है । यह रोग साधारणतः संक्रमित व्यक्ति के गिलास या बर्तन इस्तेमाल करने से हो जाता है।
प्रश्न 5. क्लोन या एक पुंजक की परिभाषा बताइए। एक पुंजक एक-एक लाभ एवं हानि के बारे में लिखें।
उत्तर- आकारिकीय (Morphologically) तथा आनुवंशिक रूप से (genetically) एक समान जीवों के लिये क्लोन (clone) शब्द की रचना की गई है। अलैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति (offspring) उत्पन्न होती है, वह केवल एक-दूसरे के समरूप ही नहीं, बल्कि अपने जनक के आनुवंशिक रूप से भी समान होती है। इसलिए अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतत्ति को क्लोन (clone) कहा गया है। लाभ-आकारिकीयं तथा आनुवंशिक रूप से संतति जनक के समान होती है। हानि-आनुवंशिक विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं होती हैं।
प्रश्न 6. भ्रूणकोष की घटक कोशिकाओं के नाम क्या हैं ?
उत्तर- भ्रूणकोष की घटक कोशिकाओं के नाम इस प्रकार हैं-
(i) अंडा (n)
(ii) द्वितीयक केन्द्रक (2n
(iii) सहायक कोशिका (n)
(iv) एन्टीपोडल कोशिका (n)।
प्रश्न 7. न्यूक्लियोसाइड एवं न्यूक्लियोटाइड में क्या अंतर है ?
उत्तर- न्यूक्लियोसाइड की रचना ही ऑक्सीराइबो शर्करा एवं नाइट्रोजनी क्षार के जुड़ने से होता है। जब न्यूक्लियोसाइड के साथ एक फॉस्फोरिक अम्ल जुड़ जाता है तो न्यूक्लियोटाइड की रचना होती है।
प्रश्न 8. बीटी कॉटन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर- मृदा जीवाणु बैसिलस थुरिनजियेन्सीस (बीटी) एक टॉक्सिन का संश्लेषण करता है जो कीट लार्वा के पाचन तंत्र को नष्ट कर देता है अतः लावां मर जाता है। बीटी जीन का टॉक्सिन होस्ट पौधे जैसे कपास, टमाटर, आलू, सरसों एवं तंबाकू में स्थानांतरित किया जा चुका है। ऐसे ट्रांसजेनिक पौधे कीट प्रतिरोधी होते हैं। लेकिन शंका व्यक्त की जा रही है कि ऐसे पौधे मृदा को विषैला बना सकते हैं जिससे दूसरे पौधों की खेती ही नहीं हो सकती है।
प्रश्न 9: (i) फाइलेरिएसिस पैदा करने वाले फाइलेरिआई कृमियों की दो स्पीशीज के वैज्ञानिक नाम लिखिये। हैं? (ii) संक्रमित व्यक्तियों के शरीर को ये किस प्रकार प्रभावित करते (iii) यह रोग किस प्रकार फैलता है?
उत्तर- (i) वुचरेरिया बँक्रोफ्टाई, वुचेरेरिया मैलाई।
(ii) फाइलेरिया कृमि हानिकारक उपापचयी पदार्थों को लिम्फ वाहिनियों में जमा करते रहते हैं जिसके प्रभाव से एण्डोथीलियम कोशिकाएँ लिम्फ वाहिनियों को बन्द कर देती हैं तथा हाथ, पैर तथा जनन अंगों में सूजन आ जाती है।
(iii) यह मादा मच्छरों के स्वस्थ व्यक्ति में काटने से फैलता है। मच्छर इनके वाहकों का कार्य करते हैं।
प्रश्न 10. ट्रांसजेनिक जन्तुओं के लाभों का वर्णन करें।
उत्तर- ट्रांसजेनिक जन्तुओं के अनेक लाभ हैं इन जन्तुओं के द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इन जन्तुओं के माध्यम से ट्रांसजेनिक प्रक्रिया पूरी
होती है इसलिए ये जन्तु बहुत उपयोगी नजर आते हैं।
प्रश्न 11. आहार जाल किसे कहते हैं? एक मैदानी पारिस्थितिकी तंत्र के दो आहार श्रृंखलाओं के जीवों के नाम लिखें।
उत्तर- पारितंत्र में पाए जानेवाले अनेक खाद्य श्रृंखलाएं आपस में सम्बन्धित होते हैं। अनेक खाद्य शृंखलाओं के संबंधित होने से एक जाल जैसी संरचना बनाती है जिसे खाद्य (आहार) जाल कहते हैं।दो आहार श्रृंखलाओं वाले जीवों के नाम- (i) खरगोश, (ii) बाज घास बकरी→ बाघ
प्रश्न 12. ध्वनि प्रदूषण से आप क्या समझते हैं ? इसके दुष्परिणामों का उल्लेख करें ।
उत्तर- ध्वनि प्रदूषण वातावरण में होने वाले अप्रत्याशित ध्वनि के कारण होता है जो प्राप्तकर्ता को सीधे प्रभावित करता है। यह काफी अधिक तीव्रता वाली ध्वनि है । जिसका स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। करीब 80 डेसीबेल या इससे अधिक तीव्रता वाली ध्वनि के कारण ध्वनि प्रदूषण होता है। इस तरह के ध्वनि की तीव्रता की आवृत्ति को हर्ट्ज में मापा जाता है। मनुष्य में श्रवणी की सामान्य क्षमता 50 Hz से 15000 Hz के बीच होती है। ध्वनि स्तर को मापने की इकाई को डेसीबेल कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण के दुष्परिणाम – (i) अचानक 150 डेसीबल या इससे अधिक तीव्रता की ध्वनि द्वारा कर्णपटल की क्षति होती है।
(ii) सिरदर्द, नेत्र पर दबाव, उच्च रक्तचाप जैसे सामान्य स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है।
(iii) अनिद्रा एवं भावनात्मक व्यवधान उत्पन्न होता है ।
प्रश्न 13. संकटग्रस्त स्पीशीज को सोदाहरण परिभाषित करें।
उत्तर- संकटग्रस्त स्पीशीज इसमें वे संकटापन्न जातियाँ या प्रजातियाँ हैं जो निकट भविष्य में
विलुप्त हो सकती है। इसका कारण यह है कि विश्व भर में इनकी संख्या बहुत ही नगण्य बच गई है। इसलिए इनका संरक्षण परमावश्यक है। यदि इन्हें संरक्षित नहीं रखा गया तो वे सदा के लिए सम्पूर्ण रूप से विलुप्त हो जायेगी। संकटापन्न जातियों का वर्णन ‘रेड डाटा’ बुक में है । संकटग्रस्त पौधा-साल, चन्दन संकटग्रस्त जन्तु लोमड़ी, वाघ, लाल पंडा ।
प्रश्न 14. प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर- हमारे शरीर में कोशिका वृद्धि और विभेदन अत्यधिक नियंत्रित और नियमित है। कैंसर कोशिकाओं में, ये नियामक क्रियाविधियाँ टूट जाती हैं। प्रसामान्य कोशिकाएँ ऐसा गुण दर्शाती हैं जिसे संस्पर्श स्पंदन (कॉटेक्ट इनहिबिसन) कहते हैं और इसी गुण के कारण दूसरी कोशिकाओं से उनका संस्पर्श उनकी अनियंत्रित वृद्धि के सदमित करता है। ऐसा लगता है कि कैंसर कोशिकाओं में यह गुण खत्म हो गया है। इसके फलस्वरूप कैंसर कोशिकाएँ विभाजित होना जारी रख कोशिकाओं का भण्डार खड़ा कर देती हैं जिससे अर्बुद (ट्यूमर) कहते हैं।
प्रश्न 15. उत्परिवर्तन प्रजनन (Mutation Breeding) क्या है?
उत्तर- उत्परिवर्तन प्रजनन (Mutation breeding) जीन को संरचना या अनुक्रम में होने वाले परिवर्तन उत्परिवर्तन कहलाते हैं। उत्परिवर्तन के फलस्वरूप नये लक्षण विकसित होते हैं। उत्परिवर्तन कृत्रिम रूप से रसायनों, विकिरण आदि द्वारा प्रेरित किये जा सकते हैं तथा ऐसे पादपों के चयन एवं प्रयोग द्वारा जिनमें प्रजनन के लिए वांछनीय लक्षण स्रोत के रूप में हों उत्परिवर्तन प्रजनन कहलाता है। मूँग में पीट मोजेक विषाणु तथा चूर्णिल आसिता प्रतिरोधकता उत्परिवर्तन के कारण ही है।
प्रश्न 16. बायोप्रोस्पेक्टिंग (Bioprospecting) से आप क्या समझ हैं।
उत्तर – बायोप्रोस्पेक्टिंग (Bioprospecting) — बहुत से वैज्ञानिक आर्थिक महत्व वाले उत्पादों के लिए आण्विक, आनुवंशिक व जाति स्तर की जैव विविधता को प्राप्त करने में व्यस्त हैं। भरपूर जैव विविधता वाला अत्यधिक लाभों के संचय के लिए जाना जाता है। बायोप्रोस्पेक्टिंग विभिन्न जातियों व पारिस्थितिक तंत्रों से समान व सुविधाओं की नियमितता व आ के लिए आवश्यक होती है।
प्रश्न 17. आनुवंशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धांत को स्पष्ट करें।
उत्तर- आनुवंशिकता का गुणसूत्रीय सिद्धान्त आनुवंशिकता के गुणसूत्रीय सिद्धांत को Sutton & Bovery ने स्वतंत्र रूप से 1902 में प्रतिपादित किया था । दोनों वैज्ञानिकों ने आनुवंशिकी घटक (जीन) के प्रवाह का समान तरीका ही पाया । दोनों ने गुणसूत्र के व्यवहार में भी समानता देखी gamete निर्माण एवं निषेचन के समय । उन्होंने बताया कि गुणसूत्र आनुवंशिक घटक के वाहक का कार्य करता है । उनके मुताबिक यह gene नहीं बल्कि गुणसूत्र है जो अर्द्धसूत्री विभाजन के समय segregate होते हैं तथा जिनका Independent assortment होता है । फिर निषेचन के समय zygote में दोनों का Recom – bination होता है
आनुवंशिक गुणसूत्र के सिद्धांत निम्नलिखित हैं-
(i) गुणसूत्र एवं जीन निषेचन के बाद फिर से जोड़े में आते हैं ।
(ii) जीव के जीवनचक्र में गुणसूत्र और जीन वैयाकितता पर संरचना बचाये रखते हैं।
(iii) गुणसूत्र एवं जीन दोनों ही द्विगुणित कोशिकाओं में जोड़े में पाये जाते हैं ।
(iv) अर्द्धसूत्री विभाजन के युग्मीकरण के दौरान गुणसूत्र एवं जीन का पृथक्कीकरण होता है । अत: प्रत्येक युग्मक प्रत्येक जोड़ा का केवल एक ही गुणसूत्र प्राप्त करता है
प्रश्न 18. पवित्र उपवन या निकुंज क्या है ? ये कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर- पवित्र उपवन या निकुंज — ये वन के वैसे भूभाग हैं जहाँ प्रत्येक वृक्ष एवं वन्य जीव को सुरक्षा दिया जाता है। संकटग्रस्त एवं अनूठे पौधे को आदिवासी समुदाय के द्वारा पवित्र रूप से संरक्षित किया जाता है। ऐसे उपवन से एक भी वृक्ष या उसका टहनी भी काटना वर्जित होता है । ये मेघालय के खासी एवं जैन्तिया पहाड़ियों में, बेस्टर्न घाट, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र के क्षेत्र में, राजस्थान के अरावली पहाड़ियों तथा मध्यप्रदेश के सरगुजा, चंदा एवं बस्तर क्षेत्रों में पाये जाते हैं। ये मानवों के नुकसान से रहित वनों के भाग हैं ।
प्रश्न 19. एड्स के कारण, लक्षण एवं रोकथाम का वर्णन करें।
उत्तर- एड्स (AIDS) — एड्स एक viral रोग है । यह HIV नामक virus से होता है । लक्षण-सरदर्द, चक्कर आना, वजन में कमी लेकिन कारणों का पता नहीं चलता है । चमड़े पर या मुँह के अंदर श्लेष्मा झिल्ली पर बैंगनी धब्बे, रक्त का बहना और डायरिया का अधिक दिनों तक रहना । एक या एक से ज्यादा लक्षण हो सकते हैं। रोगकारक
(i) संक्रमित लोगों के साथ लिंग की नजदीकियाँ । (ii) संक्रमित रक्त का संचरण ।
(iii) इंजेक्टेड नीड्लस की हिस्सेदारी ।
(iv) संक्रमित माताओं के प्लासेन्टा से भ्रूण में ।
बचने के उपाय (Preventions)— (i) साफ-सुथरा या सुरक्षित सेक्स आदतें जिसमें कन्डोम का प्रयोग हो।
(ii) वैसी चीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाये जिसमें संक्रमित रक्त लगा हो, जैसे—छुरा, दाँत साफ करने वाला ब्रश या त्वचा का भेदन करने वाला पदार्थ ।
(iii) संचरण पूर्व रक्त की पूर्ण जाँच ।
(iv) संक्रमित माताओं को गर्भ नहीं धारण करना चाहिए ।
प्रश्न 20. टीकाकरण एवं प्रतिरक्षीकरण पर टिप्पणी दें ।
उत्तर- टीकाकरण टीकाकरण में रोगजनक या निष्क्रियता रोगजनक की प्रतिजनी प्रोटीन को शरीर में प्रवेश करायी जाती है जिसके विरुद्ध शरीर में उत्पन्न प्रतिरक्षियाँ वास्तविक संक्रमण के दौरान रोगजनी कारकों को निष्प्रभावी बना देती है ।
किसी स्वस्थ मनुष्य में हानिरहित एण्टीजन युक्त पदार्थ जैसे दुर्बल रोगजनक या विषाक्त पदार्थ के निवेशन से किसी रोग के विरुद्ध प्रतिरक्षण की क्षमता को बढ़ाना टीकाकरण कहलाता है। प्रतिरक्षण तंत्र द्वारा स्मरण कोशिका के बनने से प्रतिरक्षण में बढ़ोत्तरी होती है। जब टीकाकृत कोशिकाएँ रोग जनक जीवाणु से ग्रसित पदार्थ ग्रहण करता है । स्मरण T एवं B कोशिकाएँ उस एण्टीजन को पहचाती है और T कोशिका, B कोशिका व एण्टीबॉडी के वृहत् रूप से बनने के लिए प्रेरित करता है जिससे कि आक्रमणकारी को समाप्त किया जा सके ।
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